❝Do not figure out big plans at first, but, begin slowly, feel your ground and proceed up and up❞
Category : Spiritual - Related to God
By : User image Ranu
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14 Jan 16

खतरनाक सत्य

"अगर आप रास्ते पे चल रहे है और आपको वहां पड़ी हुई दो पत्थर की मुर्तिया मिले

1) भगवान राम की

और

2)रावण की

और आपको एक मूर्ति उठाने का कहा जाए तो अवश्य आप राम की मूर्ति उठा कर घर लेके जाओगे।
क्यों की राम सत्य , निष्ठा,
सकारात्मकता के प्रतिक हे और रावण नकारात्मकता का प्रतिक हे।

फिरसे आप रास्ते पे चल रहे हो और दो मुर्तिया मिले
राम और रावण की
पर अगर "राम की मूर्ति पत्थर" की और "रावण की सोने "की हो
और एक मूर्ति उठाने को कहा जाए तो आप राम की मूर्ति छोड़ कर  रावण की सोने की मूर्तिही उठाओगे
.
.

मतलब हम सत्य और असत्य,
सकारात्मक और नकारात्मक
अपनी सुविधा और लाभ के अनुसार तय करते हे।

      

99% प्रतिशत लोग भगवान को सिर्फ लाभ और डर की वजह से पूजते है.
.
.
.और इस बात से वह 99% प्रतिशत लोग भी सहमत होंगे मगर शेअर नही करेंगे क्योंकी .....
.
.

एक ही डर    "लोग क्या कहेंगे".  
           

लोग क्या सोचेंगे  ? ? ?

25 साल की उम्र तक हमें परवाह नहीँ होती कि  "लोग क्या सोचेंगे  ? ? "

50 साल की उम्र तक इसी डर में जीते हैं  कि  " लोग क्या सोचेंगे  ! ! "

50 साल के बाद पता चलता है कि      " हमारे बारे में कोई सोच ही नहीँ रहा था ! ! ! "

Life is beautiful, enjoy it everyday.

Sabse Bada ROG...
Kya Kahenge LOG...


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