
हिंदू धर्म में आरती का महत्व | Hindu Dharam me Aarti ka Mahtav
आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा और सम्मान करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह एक पवित्र कृत्य है, जिसमें दीपक (दीप) जलाकर उसे देवता के समक्ष घुमाया जाता है। इसके साथ ही भगवान के मंत्रों या भजनों का गायन भी किया जाता है।
आरती का महत्व:
- धार्मिक श्रद्धा और भक्ति: आरती का प्रमुख उद्देश्य भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करना है। यह पूजा का एक हिस्सा होती है, जो व्यक्ति के दिल में परमात्मा के प्रति प्रेम और श्रद्धा को प्रकट करता है।
- आध्यात्मिक शुद्धि: आरती में जलते हुए दीपक के प्रकाश को भगवान के साथ जोड़कर आत्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। दीपक का प्रकाश अंधकार को दूर करता है और ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है।
- धार्मिक समुदाय का बंधन: जब लोग सामूहिक रूप से आरती गाते हैं या करते हैं, तो यह एक सामूहिक धार्मिक अनुभव बन जाता है। इससे समाज में एकता और भाईचारे की भावना उत्पन्न होती है।
- नकारात्मक शक्तियों का नाश: आरती के दौरान दीपक का प्रकाश और मंत्रों के उच्चारण से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे हिन्दू धर्म में बुराई से अच्छाई की विजय के रूप में देखा जाता है।
- सुख-समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति: धार्मिक मान्यता के अनुसार, आरती करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति मिलती है। आरती में भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना रहती है।
आरती का समय विशेष रूप से पूजा के बाद होता है, और यह एक सामूहिक आयोजन के रूप में मंदिरों या घरों में अक्सर होता है। इस प्रक्रिया में भगवान की महिमा का गान किया जाता है, जिससे मनुष्य के मन, वचन और क्रिया से भगवान की उपासना होती है।