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Category : Spiritual - Related to God
By : User image Hari
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09 Apr 25
ॐ जय जगदीश हरे - Om Jai Jagdish Hare Aarti

यह भगवान विष्णु को समर्पित एक बहुत प्रसिद्ध हिंदू आरती है।

"ॐ जय जगदीश हरे" आरती हिंदी कवि पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी द्वारा रचित की गई थी और यह भारत भर के घरों और मंदिरों में नियमित रूप से गाई जाती है।

इस आरती के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी:

  • यह भगवान विष्णु की स्तुति करती है
  • इसमें भगवान से कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है
  • इसे अक्सर शाम की पूजा और शुभ अवसरों पर गाया जाता है
  • इसकी धुन सरल और भक्तिमय है, जिसे हर उम्र के लोग आसानी से सीख सकते हैं

आप इस आरती को स्थानीय मंदिरों, सांस्कृतिक केंद्रों, या वैध ऑनलाइन धार्मिक संगीत प्लेटफॉर्म पर सुन और सीख सकते हैं।

"ॐ जय जगदीश हरे" आरती

ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
क्षण में दूर करे

ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास ज़नो के संकट क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे


जो ध्यावे फल पावे दुःख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे


मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा
तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे


तुम पूरण परमात्मा
तुम ही अंतरयामी
स्वामी तुम ही अंतरयामी
पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे


तुम करुणा के सागर
तुम पालन करता स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे


तुम हो एक अगोचर
सबके प्राण पति
स्वामी सबके प्राण पति
किस विध मिलु दयामय
किस विध मिलु दयामय
तुम को मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे


दीन बन्धु दुःख हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे


विषय-विकार मिटाओ पाप हरो देवा
स्वामी कष्ट हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा स्वामी सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे


ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे


ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे

ॐ जय जगदीश हरे


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