खड़े थे हाथ बांधे एक कतार में.....
कुछ थे परेशान कुछ उदास थे.....
पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे....
दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर....
तभी किसी ने हाथ बढ़ा कर मेरा हाथ थाम लिया....
और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था....
हाथ थामने वाला कोई और नही मेरा भगवान था...
चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....
जब देखा मैने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नजरों से....
तो हँस कर बोला....
“तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था...
आज प्यारे उसका कर्ज चुकाने आया हूँ...”
रो दिया मै अपनी बेवकूफियो पर तब ये सोच कर...
जिसको दो घडी जपा
वो बचाने आये है...
और जिन में हर घड़ी रमा रहा
वो शमशान पहुचाने आये है...
तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था...
कितना नादान मैं हकीकत से अनजान था....