जब एक कैदी को फांसी की सजा सुनाई गई
तो वहा के कुछ वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इस कैदी पर कुछ प्रयोग किया जाये !
तब कैदी को बताया गया कि हम तुम्हें फांसी देकर नहीं परन्तु जहरीला कोबरा साप डसाकर मारेगें !
और उसके सामने बड़ा सा जहरीला साप ले आने के बाद कैदी की आँखे बंद करके कुर्सी से बॉधा गया और उसको सॉप नहीं बल्कि दो सेफ्टी पिन्स चुभाई गई !
और क्या हुआ कैदी की कुछ सेकेन्ड मे ही मौत हो गई,
पोस्टमार्डम के बाद पाया गया कि कैदी के शरीर मे सांप के ज़हर के समान ही ज़हर है ।
अब ये ज़हर कहा से आया जिसने उस कैदी की जान ले ली ......
वो ज़हर उसके खुद शरीर ने ही सदमे मे उत्पन्न किया था ।
हमारे हर संकल्प से पॉजिटिव एवं निगेटिव एनर्जी उत्पन्न होती है और वो हमारे शरीर मे उस अनुसार hormones उत्पन्न करती है ।
75% बीमारियों का मूल कारण नकारात्मक सोच से उत्पन्न ऊर्जा ही है ।
आज इंसान ही अपनी गलत सोच से भस्मासुर बन खुद का विनाश कर रहा है ......
अपनी सोच सदैव सकारात्मक रखें और खुश रहें
25 साल की उम्र तक हमें परवाह नहीँ होती कि "लोग क्या सोचेंगे ? ? "
50 साल की उम्र तक इसी डर में जीते हैं कि " लोग क्या सोचेंगे ! ! "
50 साल के बाद पता चलता है कि
" हमारे बारे में कोई सोच ही नहीँ रहा था ! ! ! "
Life is beautiful, enjoy it.