❝ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा न खोए औरो को शीतल करे आपन शीतल होए |❞
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13 Nov 15

!! इतनी शक्ति हमें देना दाता

मन का विश्वास कमज़ोर हो न

हम चलें नेक रस्ते पे हमसे

भूल कर भी कोई भूल हो न ।

 

दूर अज्ञान के हों अँधेरे

तू हमें ज्ञान की रौशनी दे

हर बुराई से बचते रहें हम

जितनी भी दे भली ज़िन्दग़ी दे

बैर हो न, किसी का किसी से

भवना मन में बदले की हो न

हम चलें नेक रस्ते पे हमसे

भूल कर भी कोई भूल हो न..

 

हम न सोचें हमें क्या मिला है

हम ये सोचें किया क्या है अर्पण

फूल खुशियों के बाँटें सभी को

सबका जीवन ही बन जाये मधुबन

अपनी करुणा का जल तू बहाकर

करदे पावन हरेक मनका कोना

हम चलें नेक रस्ते पे हमसे

भूल कर भी कोई भूल हो न..

 

हम अँधेरे मे हैं रौशनी दे

खो न दें खुद को ही दुश्मनी से

हम सज़ा पायें अपने किये की

मौत भी हो तो सह लें खुशी से

कल जो गुज़रा है फिर से न गुज़रे

आनेवाला वो कल ऐसा हो न

हम चलें नेक रस्ते पे हमसे

भूल कर भी कोई भूल हो न..

 

इतनी शक्ति हमें देना दाता

मन का विश्वास कमज़ोर हो न…


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