❝Do not figure out big plans at first, but, begin slowly, feel your ground and proceed up and up❞
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16 Jul 16
Happiness  सबसे ज्यादा खुश कौन है ?

सबसे ज्यादा खुश कौन है ?

एक कौआ था जो अपनी जिंदगी से बहुत खुश और संतुष्ट था। एक बार वह एक तालाब पर पानी पीने रुका। वहां पर उसने सफ़ेद रंग के पक्षी हंस को देखा। उसने सोचा मैं बहुत काला हूँ और हंस इतना सुन्दर हैं इसलिए शायद हंस इस दुनियां का सबसे खुश पक्षी होगा।

कौआ हंस के पास गया और बोला -क्या आप दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो ?
हंस बोला – मैं भी यही सोचा करता था कि मैं दुनियां का सबसे खुश पक्षी हूँ जब तक कि मैंने तोते को न देखा था। तोते को देखने के बाद मुझे लगता हैं कि तोता ही दुनियां का सबसे खुश पक्षी हैं क्योंकि तोते के दो खुबसूरत रंग होते हैं इसलिए वही दुनियां का सबसे खुश पक्षी हैं ।

कौआ तोते के पास गया और बोला – क्या आप ही इस दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो ?
तोता ने कहा – मैं पहले बहुत खुश था और सोचा करता था कि मैं ही दुनियां का सबसे खुबसूरत पक्षी हूँ। लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है, मुझे लगता है कि वो ही दुनियां का सबसे खुश पक्षी है क्योंकि उसके कई तरह के रंग है और वह मुझसे भी खुबसूरत है।

कौआ चिड़ियांघर में मोर के पास गया और देखा कि सैकड़ों लोग मोर को देखने के लिए आए है। कौआ मोर के पास गया और बोला – क्या आप दुनियां के सबसे सुन्दर पक्षी हो ?
हजारों लोग आपको देखने के लिए आते है इसलिए आप ही दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो सकते हो ।

मोर ने कहा – मैं हमेशा सोचता था कि मैं दुनियां का सबसे खुबसूरत और खुश पक्षी हूँ लेकिन मेरी खूबसूरती के कारण मुझे यहाँ पिंजरे में कैद कर लिया गया है। मैं खुश नहीं हूँ और मैं अब यह चाहता हूँ कि काश मैं भी कौआ होता तो मैं आज आसमान में आजाद उड़ता।
चिड़ियाघर में आने के बाद मुझे यही लगता हैं कि कौआ ही सबसे खुश पक्षी होता है।

“हम लोगों की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही हो गयी है। हम अपनी तुलना दूसरों से करते रहते है और दूसरों को देखकर हमें लगता है कि वो शायद हमसे अधिक खुश या सुख में है। इस कारण हम दु:खी हो जाते है.

हम उनका आनंद नहीं उठा पाते जो हमारे पास पहले से है और उन वस्तुओं के पीछे भागने लगते है जो हमारे पास नहीं है ।और इसी चक्कर में समय निकलता जाता है और बाद में हम सोचते हैं कि पहले हम अधिक खुश थे।

दुनियां में हर व्यक्ति के पास अन्य व्यक्तियों से कुछ वस्तुएँ अधिक और कुछ वस्तुएँ कम होगी ही।
इसलिए दुनियां में सबसे अधिक खुश वह है जो अपने आप से सन्तुष्ट हैं ।
कहा भी गया है- "सन्तुष्टम परम सुखम "


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