चार कीमती रत्न:-
1~पहला रत्न है: "माफी"
तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और ना ही उसके लिए कभी प्रतिकार की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ़ कर देना।
2~दूसरा रत्न है: "भूल जाना"
अपने द्वारा दूसरों के प्रति किये गए उपकार को भूल जाना, कभी भी उस किए गए उपकार का प्रतिलाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना।
3~तीसरा रत्न है: "विश्वास"
हमेशा अपनी महेनत और उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना । यही सफलता का सूत्र है ।
4~चौथा रत्न है: "वैराग्य"
हमेशा यह याद रखना कि जब हमारा जन्म हुआ है तो निशिचत हि हमें एक दिन मरना ही है। इसलिए बिना लिप्त हुवे जीवन का आनंद लेना । वर्तमान में जीना।