❝आग्नि स्वर्ण को परखती है मुसीबत विरों को |❞
Category : General
By : User image Anonymous
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06 Jan 16

...कभी हँसते हुए छोड़ देती ये जिंदगी...
...कभी रोते हुए छोड़ देती ये जिंदगी...

        ...न पूर्णविराम सुख में,
        ...न पूर्णविराम दुःख में,

...बस जहाँ देखो वहाँ अल्पविराम छोड़ देती है ये जिंदगी..!!!!!!
कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं
  हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है
जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं,
         तुझे गिरना भी खुद है
       और सम्हलना भी खुद है..
तू छोड़ दे कोशिशें.
        इन्सानों को पहचानने की...!
यहाँ जरुरतों के हिसाब से ..
            सब बदलते नकाब हैं...!
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर.
                 हर शख़्स कहता है-
    " ज़माना बड़ा ख़राब है।


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