Category : Entertainment Hina 23 Jun, 15
Comments : 3 Views : 5808
Comments : 3 Views : 5808
हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता
"रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर
और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये
जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे
फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।
ये कफन , ये. जनाज़े, ये "कब्र"
सिर्फ. बातें हैं. मेरे दोस्त,,,
वरना मर तो इंसान तभी जाता है
जब याद करने वाला कोई ना. हो...!!
ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला,
ज़िंदा. थे. तो. तैरने. न. दिया.
और मर. गए तो डूबने. न. दिया . .
क्या. बात करे इस दुनिया. की
"हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हे"
जो सामने. हे. उसे लोग. बुरा कहते. हे,
जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुदा". कहते. है....
102
15
You may also interested in posts:
View Comments :
By : अजय कुमार
0
0
जनाब ये कविता (शायरी) निहायत ही घटिया है, और हरिवंश राय बच्चन की नहीं किसी ठेलेवाले की है।
By : nikhil
0
0
Ran me navaja name jindagi dear ye poem mp3 me bhejo
By : nikhil
0
0
Poem mp3 me tayar karaoke bhejo plz