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पानी पीने के तरीके
ये जानना बहुत जरुरी है...
हम पानी क्यों ना पियें, खाना खाने के बाद....!!!
क्या कारण है...???
हमने दाल खायी... हमने सब्जी खायी... हमने रोटी खायी... हमने दही खाया... लस्सी पी...
दूध, दही, छाछ, फल आदि....
ये सब कुछ भोजन के रूप में हमने ग्रहण किया
ये सब कुछ हमको उर्जा देता है
और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है
पेट में एक छोटा सा स्थान होता है, जिसको हम हिंदी मे कहते हैं...
*अमाशय*
उसी स्थान का संस्कृत नाम है... *जठर*
उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते हैं...
*Epigastrium*
ये एक थैली की तरह होता है
और यह जठर हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है...
ये बहुत छोटा सा स्थान है, इसमें अधिक से अधिक 350 gms खाना आ सकता है...
हम कुछ भी खाते हैं, सब अमाशय में आ जाता है...
आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है, उसी को कहते हैं...
*जठराग्नि*
ये जठराग्नि अमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है...
जेसे ही आपने खाना खाया,
कि जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है...
यह ऑटोमेटिक है, जेसे ही आपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला कि इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी, ये अग्नि तब तक जलती है जब तक खाना पचता है...!!!
अब आपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया...
और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते हैं
अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी...
आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी
अब हमेशा याद रखें...
खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रियायें होती हैं
एक क्रिया है, जिसको हम कहते हैं
*Digestion*
और दूसरी है...
*Fermentation*
फर्मेंटेशन का मतलब है...
*सड़ना*
और...
डायजेशन का मतलब है...
*पचना*
आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा, खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा...
जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियाँ, मल, मूत्र और
अस्थि बनेगा और सबसे अंत में मेद बनेगा...
ये तभी होगा, जब खाना पचेगा... यह सब हमें चाहिये...
ये तो हुयी खाना पचने की बात,
अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा...??
खाने के सड़ने पर... सबसे पहला जहर जो बनता है वो है...
*यूरिक एसिड (uric acid)*
कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते हैं, कि मुझे घुटने में दर्द हो रहा है, मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है
तो डॉक्टर कहेगा, आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है
आप ये दवा खाओ, वो दवा खाओ, यूरिक एसिड कम करो...
और दूसरा उदाहरण...
जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है, जिसको हम कहते हैं...
*LDL (Low Density lipoprotive)*
माने...
*खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol)*
जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं,
तो वो आपको कहता है...
*HIGH BP*
हाई-बीपी है, तो आप पूछोगे...
कारण बताओ...???
तो वो कहेगा, कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है
आप ज्यादा पूछोगे कि कोलेस्ट्रोल कौन सा बहुत है...???
तो वो आपको कहेगा, *LDL* बहुत है.
इससे भी ज्यादा खतरनाक एक विष है, वो है
*VLDL (Very Low Density Lipoprotive)*
ये भी कोलेस्ट्रॉल जैसा ही विष है...
अगर VLDL बहुत बढ़ गया, तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता
खाना सड़ने पर और जो जहर बनते हैं, उसमें एक और विष है,
जिसको अंग्रेजी मे हम कहते हैं...
*Triglycerides*
जब भी डॉक्टर आपको कहे
कि आपका *triglycerides* बढ़ा हुआ है, तो समझ लीजिये
कि आपके शरीर में विष निर्माण हो रहा है...
तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे...
कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे...
कोई LDL-VLDL के नाम से कहे...
तो समझ लीजिये, कि ये विष है
और ऐसे विष कुल 103 हैं...
ये सभी विष तब बनते हैं, जब खाना सड़ता है...
मतलब समझ लीजिये...
किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है
तो एक ही मिनट मे ध्यान आना चाहिये कि खाना पच नहीं रहा है
कोई कहता है, मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनट में डायग्नोसिस कर लीजिये आप कि खाना पच नहीं रहा है
कोई कहता है, मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है, तो एक ही मिनट लगना चाहिये समझने में कि खाना पच नहीं रहा है
क्योंकि खाना पचने पर इनमें से कोई भी जहर नहीं बनता...
खाना पचने पर जो बनता है वो है... मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियाँ, मल, मूत्र, अस्थि...
और...
खाना नहीं पचने पर बनता है...
यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल, LDL-VLDL...
और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते हैं...
पेट में बनने वाले यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते हैं, तो खून दिल की नाड़ियों में से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा,
जो खून में आया है, इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है
जिसे आप *heart attack* कहते हैं...
तो हमें जिंदगी में ध्यान इस बात पर देना है, कि जो हम खा रहे हैं,
वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिये और खाना ठीक से पचना चाहिये, इसके लिये पेट में ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिये
क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं है और खाना पकता भी नहीं है...
महत्व की बात...
खाने को खाना नहीं, खाने को पचाना है...
आपने क्या खाया, कितना खाया वो महत्व नहीं है...!!!
खाना अच्छे से पचे इसके लिये *वाग्भट्ट जी* ने सूत्र दिया...
भोजनान्ते विषं वारी
(मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है)
इसलिये खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पियें...
अब आपके मन मे सवाल आयेगा कितनी देर तक नहीं पीना...
तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना...
अब आप कहेंगे इसका क्या calculation है...???
तो बात ऐसी है... जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट में बदलता है
पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है. उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है
(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है)
पेस्ट बनने के बाद शरीर में रस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती है. तब आप जितनी इच्छा हो उतना पानी पियें...
जो बहुत मेहनती लोग हैं (खेत में हल चलाने वाले, रिक्शा खींचने वाले, पत्थर तोड़ने वाले) उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है, उनको 1 घंटे बाद पानी पीना चाहिये...!!!
अब आप कहेंगे...
खाना खाने के पहले, कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं...???
तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं...
अब आप पूछेंगे ये 45 मिनट का calculation...???
तो बात ऐसी है, जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुँचता है...
तो पानी पीने से लेकर मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है...
तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पानी पियें...
इसका जरूर पालन करें
अधिक से अधिक लोगों को बतायें, जागरुक करें...