Category : General Anonymous   20 Aug, 15
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 एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में भोजन करा रहा था। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मण जहरीला खाना खाते हीं मर गया। अब जब राजा को सच का पता चला तो ब्रम्ह हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ।

मित्रों ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा ???

राजा... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है..

या

वह चील... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी...

या

वह मुर्दा साँप... जो पहले से मर चुका था...

दोस्तों बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका रहा। फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए। और उन्होंने किसी महिला से

महल का रास्ता पूछा... तो उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया, पर रास्ता बताने के साथ- साथ ब्राम्हणों से ये भी कह दिया कि देखो भाई... "जरा ध्यान रखना, वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है।"

बस मित्रों जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे उसी समय यमराज ने फैसला ले लिया कि उस ब्राह्मण की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा।

यमराज के दूतों ने पूछा

प्रभु ऐसा क्यों ? जबकि उस ब्राम्हण की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका भी नही थी।

तब यमराज ने कहा कि भाई देखो जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे आनंद मिलता हैं। पर उस ब्राम्हण की हत्या से न तो राजा को आनंद मिला न मरे हुए साँप को आनंद मिला और न ही उस चील को आनंद मिला... पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनंद मिला। इसलिये राजा के उस अनजाने पाप- कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा।

बस मित्रों इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दुसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से (बुराई) करता हैं, तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं।

दोस्तों अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि जीवन में ऐसा कोई पाप नही किया फिर भी जीवन में इतना कष्ट क्यों आया ? दोस्तों ये कष्ट और कहीं से नही बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जिनको यमराज बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर कर देते हैं।

इसलिये दोस्तों आज से ही

संकल्प कर लो कि किसी के

भी पाप-कर्मों का बखान बुरे भाव से नही करना, यानी किसी की भी बुराई नही करनी हैं।

      

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By : Rahul Mohabe
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Maine ek dharm wisesagya se ek din puchha ki mere jivan me itana kasth kyo hai. To unhone kaha ki ye tumhare tumhare picchale bure karm ke phal , to mujhe bataiye ki main apaki baat manu ya unaki