Category : Spiritual - Related to God Admin   04 Jan, 25
Comments : 0   Views : 18

हिंदू धर्म में, एक धार्मिक तीर्थयात्रा है जिसको कुम्भ के नाम से जाना जाता है महाकुंभ मेला हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक पवित्र त्यौहार और आस्था का सामूहिक कार्य है। इस जमावड़े में मुख्य रूप से नागा साधु, तपस्वी, संत, साधु, साध्वी, कल्पवासी और सभी क्षेत्रों के तीर्थयात्री शामिल होते हैं।

कुंभ मेला भारत की संस्कृती को समजने के लिए एक उतम अवसर है । यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो मानव अस्तित्व के सार को गहराई से समझती है। इसलिए कम से कम ज़िंदिगी में एक बार कुम्भ मेले को अवश्य जाए ओर देखे, समजे ।

 

कुंभ मेला ३ तरह का होता है जो निम्न प्रकार से है -

कुंभ मेला - ३ ( तीन ) वर्षों में एक बार होता है ।

अर्ध कुंभ - ६ ( छ: ) वर्षों में एक बार आता है व

महाकुंभ मेला - १२ ( बारह ) वर्षों में एक बार आता है ।

कुंभ मेले की भौगोलिक स्थिति भारत में चार स्थानों पर फैली हुई है और मेला स्थल चार पवित्र नदियों पर स्थित चार तीर्थस्थलों में से एक के बीच घूमता रहता है:

१) हरिद्वार, उत्तराखंड में, गंगा के तट पर

२) उज्जैन, मध्य प्रदेश में, शिप्रा के तट पर

३) नासिक, महाराष्ट्र में गोदावरी के तट पर प्रयागराज

४) उत्तर प्रदेश में, गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर

२०२५ महाकुंभ स्नान के महत्वपूर्ण दिन

१३ जनवरी, २०२५ सोमवार - पौष पूर्णिमा ( 13 Jan )

१४ जनवरी, २०२५ मंगलवार - मक्कर संक्रांति ( 14 Jan )

२९ जनवरी, २०२५ बुधवार - मोनी अमावश्या ( 29 Jan )

३ फ़रवरी, २०२५ सोमवार - बसंत पंचमी ( 3 Feb )

१२ फ़रवरी, २०२५ बुधवार - माघ पूर्णिमा ( 12 Feb )

२६ फ़रवरी, २०२५ बुधवार - महा शिवरात्रि ( 26 Feb )

 २०२५ का महाकुंभ के महत्वपूर्ण तथ्य -

  • २०२५ का महाकुंभ प्रयागराज, उत्तरप्रदेश में होना तय हुआ है।
  • महाकुंभ को इस बार योगी सरकार ने ओर विशाल करने के लिए ६००० करोड़ की राशि स्वीकृत की है।
  • यह महाकुंभ १३ जनवरी से शरू हो कर २६ फ़रवरी २०२५ तक चलेगा।
  • इसमें ४० करोड़ श्रदालुओं के आने का अनुमान है।
  • मोनी अमावश्या के ४ करोड़ श्रदालुओं के आने का अनुमान है।

 

2
0

View Comments :

No comments Found