Category : Biography Jaimahesh Team 27 Mar, 19
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Bhagat Singh ( Freedom Fighter ) | भगत सिंह ( स्वतंत्रता सेनानी )
भगत सिंह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थें । इन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक माना जाता था। इन्हें शहीद भगत सिंह के नाम से भी जाना जाता था । यह अपने देश की स्वतंत्रता के लिए 23 मार्च 1931 को मुस्कुराते हुए फांसी पर चढ़ गये थें ।
जन्म स्थान | बंगा,पाकिस्तान |
मृत्यु | 23,मार्च 1931 |
पिता | सरदार किशन सिंह |
माता | विद्यावती कौर |
जीवन काल | 24 वर्ष |
शहीद भगत सिंह का प्रारंभिक जीवन काल –
- भगत सिंह का जन्म 28,सितम्बर 1907 में जिला लायपुर के बंगा गाँव पाकिस्तान में हुआ था ।
- इनके पिता का नाम सरदार किशन व माता का नाम विद्यावती कौर था ।
- यह एक सिक्ख परिवार था। उनका परिवार पूर्णतः आर्य समाजी था।
- उनके चाचा, सरदार अजीत सिंह और उनके पिता महान स्वतंत्रता सेनानी थे, इसलिए यह बचपन से ही देशभक्ति के माहौल में बड़े हुए थे।
- एक बार उन्होंने बचपन में अपने पिता से 'खेतों में बंदूक उगाने'के लिए कहा था, ताकि वे अंग्रेजों से लड़ सकें।
- 1913 में हुए ग़दर आंदोलन ने उनके दिमाग पर एक गहरी छाप छोड़ी।
- गदर आन्दोलन भारत की आजादी के लिए अंग्रेजो के विरुद्ध किया गये आन्दोलनो में से था।
- इस आन्दोलन 19 साल के करतार सिंह सराभा को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
- करतार सिंह सराभा गदर पार्टी के अध्यक्ष थें।
- भगत सिंह करतार सिंह को अपना आदर्श मानते थें।
- 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग के में हुए नरसंहार हत्याकांड ने उनको पुरी तरह से विचलित कर दिया।
- जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय भगत सिंह आयु सिर्फ 12 वर्ष थी।
- इस हत्याकांड ने उन्हें अमृतसर तक पहुँचा दिया, जहाँ उन्होंने शहीदों के खून से पवित्र धरती को चूमा और खून से लथपथ मिट्टी को घर वापस ले आये।
लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला
- 1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिये भयानक प्रदर्शन हुए।
- ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जुलुस निकाले गये।
- इस जुलुस पर ब्रिटिश सरकार ने लाठी चार्ज किया।
- इस लाठी चार्ज में 17 नवम्बर 1928 को लाहौर में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी।
- इस घटना से भगत सिंह को गहरी चोट लगी और उन्होंने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेनी की ठान ली।
- भगत सिंह ने ए० एस० पी० सॉण्डर्स को मारने के लिए क्रान्तिकारी राजगुरु, जयगोपाल और चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर एक गुप्त योजना बनाई।
- इस योजना के अनुसार भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे।
- उधर जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गये जैसे कि वो ख़राब हो गयी हो।
- चंद्रशेखर आजाद छुपकर इस घटना को अंजाम देना का कार्य कर रहे थे।
- तभी एस.पी. सॉण्डर्स की राजगुर और भगत सिंह ने गोलियों मारकर उनकी हत्या कर दी।
- इस पुरी घटना में ब्रिटिश सरकार का सिपाही चनन सिंह भी मारा गया।
असेम्बली में बम फेंकने की घटना
- अँग्रेजों का मजदूरों के प्रति अत्याचार अत्याचार बढ़ता जा रहा था ।
- अंग्रेज सरकार दिल्ली की असेम्बली में ‘पब्लिक सेफ़्टी बिल’ और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ पास करवाने जा रही थी।
- ये दो बिल ऐसे थे जो भारतीयों पर अंग्रेजों का दबाव और भी बढ़ा देते। इसमें फ़ायदा सिर्फ़ अंग्रेजों को ही होना था।
- उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए भगत सिंह और उनकी साथी बटुकेश्वर ने असेम्बली में बम फेंकने का बीड़ा उठाया।
- इस बम विस्फोट का उद्देश्य किसी को भी चोट पहुंचाना नहीं था। सिर्फ अंग्रेजो को ये बिल पास कराने से रोकना था ।
- भगत सिंह ने तो जान बूझकर उस जगह बम फेंका जहां पर कोई भी मौजूद नहीं थे। इस विस्फोट से कोई भी मारा नहीं गया ।
- बम फोड़ने के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने वहां से भागने के लिए इंकारकर दिया और खुद को गिरफ़्तार करवाया ।
- बम फेंकने और गिरफ्तार होने के बीच उन्होंने वहां पर्चे बांटे । उन पर्चों पर लिखा था – ‘बहरों को सुनाने के लिए बहुत ऊंचे शब्द की आवश्यकता होती है।’ ।
- भगत सिंह ने किसी भी रक्षा वकील को नियुक्त करने से इनकार कर दिया।
- इसी काण्ड को अंग्रेजों ने लाहौर षडयंत्र केस नाम दिया जिसमें भगत सिंह को फांसी की और बटुकेश्वर को काला पानी की सज़ा हुई।
शहीद भगतसिंह की फांसी से जुडी घटना
- जब भगत सिंह को फांसी देना तय किया गया था, जेल के सारे कैदी रो रहे थे ।
- इसी दिन भगत सिंह के साथ ही राजगुरु और सुखदेव की फांसी भी तय थी ।
- पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे थे। लाहौर में भारी भीड़ इकठ्ठा होने लगी थी ।
- अंग्रेजों को इस बात का अंदाजा हो गया कि कहीं कुछ बवाल न हो जाए ।
- इस कारण उन्हें तय दिन 24 मार्च से एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया ।
- भगत सिंह को 23 मार्च 1931 के दिन ही फांसी पर चढ़ा दिया गया ।
- फिरोजपुर में सतलज के नदी के किनारे गुप-चुप तरीके से इनके शवों का अंतिम संस्कार किया गया था। । इनके शवों को वहीं नदी किनारे जलाया जाने लगा ।
- आग देख कर वहां भी भीड़ जुट गयी, अंग्रेज जलते हुए शवों को नदी में फेंक कर भाग गये ।
- कहा जाता है कि गांव के लोगों ने ही उसके बाद उनका विधिवत अंतिम संस्कार किया ।
- जब भगत सिंह को फांसी की सजा होई थी, तब वह मात्र 25 साल के थें । पुराने समय के लोग कहते हैं कि कई जगहों पर उस दिन एक भी चूल्हा नहीं जला ।
शहीद भगतसिंह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव और राजगुरु इत्यादि थे।
- भगत सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद की मदद से 1928 में ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी” (HSRA) का गठन किया।
- इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को स्वतंत्र एवं समाजवादी बनाना था ।
- 1 साल और 350 दिनों में जेल में रहने के बावजूद, भगत सिंह का वजन बढ़ गया था ।
- भगत सिंह को खुशी इस बात की कि अपने देश के लिए कुर्बान होने जा रहे थे ।
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