Category : Biography Jaimahesh Team 24 Mar, 19
Comments : 0 Views : 178
Comments : 0 Views : 178
रामकृष्ण परमहंस जीवनी | Ramkrishna Pramhans Biography
रामकृष्ण परमहंस भारतीय संस्कृति के प्रवर्तक थे । इनका जन्म 18 फरवरी,1836 में बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर गाँव में हुआ था। रामकृष्ण परमहंस के बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था । 19 वी सदी में रामकृष्ण परमहंस पुरे भारत में अग्रणी हिन्दू आध्यात्मिक नेताओ में से एक थे । उनके जीवन का उद्देश्य “ईश्वर की प्राप्ति” था ।
जन्म | 18 फरवरी 1836 |
मृत्यु | 16 अगस्त 1886 |
जन्म स्थान | कोलकाता |
जीवन काल | 50 वर्ष |
पिता | खुदीराम चट्टोपाध्याय |
माता | चंद्रा देवी चट्टोपाध्याय |
पत्नी | शारदामणि मुखोपाध्याय |
भाई | रामकुमार चट्टोपाध्याय |
रामकृष्ण परमहंस का प्रारम्भिक जीवन काल
- उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था ।
- उनके पिता का नाम खुदीराम और माता का नाम चन्द्रा देवी चट्टोपाध्याय था ।
- जब वह सात वर्ष के थे । तब उनके पिता का देहांत हो गया ।
- उनके बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय उनको अपने साथ कोलकता ले गये थें ।
- उनके के बड़े भाई ने कोलकाता में एक संस्कृत विद्यालय शुरू किया था ।
- इस दौरान, कोलकाता की एक अमीर महिला, रानी रश्मोनी ने दक्षिणेश्वर में एक मंदिर की स्थापना की।
- रामकुमार वहा पर पुजारी के रूप में भी कार्य करते थें ।
- बाद रामकुमार ने परमहंस को काली मंदिर में पुजा का कार्य सोप दिया ।
- और वह दक्षिणेश्वर के काली मंदिर मे पुजारी बन गये ।
रामकृष्ण परमहंस जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- उनको न तो स्कुल जाने में दिलचस्पी थी और न ही व्यवसाय करने में । वह धर्म सुधारक,आध्यात्मिक गुरु और संत थे जो धर्म की सच्चाई जानना चाहते थे ।
- बचपन से ही उनकी धार्मिक गतिविधियों विशेष में पर्याप्त रुचि थी ।
- उनके जीवन का उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति थी । उनको विश्वास था की उनको ईश्वर के दर्शन जरुर होंगे ।
- बहुत सारे धर्म सुधारक जैसे की केशव चन्द्र सेन और दयानन्द सरस्वती ने रामकृष्ण परमहंस से दिशा निर्देश प्राप्त कीए ।
- जो भी लोग पाश्चत्य संस्कृति से प्रभावित होते थे, रामकृष्ण परमहंस उन्हें अपने धर्म और संस्कृति में विश्वास रखने का उपदेश देते थें ।
- उनके पवित्र चरित्र और ज्ञान के प्रति समर्पण के कारण कई लोग उनकी ओर आकर्षित हुए । उन्होंने अलग-अलग तरीके से भगवान को पाने की कोशिश की ।
- रामकृष्ण परमहंस के अनुसार सभी प्राणियों के जीवन का उद्देश्य ईश्वर के अस्तित्व की प्राप्ति होना चाहिए ।
- रामकृष्ण छोटी छोटी कहानियों के माध्यम से लोगों को शिक्षा देते थे।
- रामकृष्ण लोगो में राष्ट्रीयता की भावना बढ़ाना चाहते थे ।
- उनका सबसे परम शिष्य स्वामी विवेकानन्द था । जो अपने आप में दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए।
रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य
- स्वामी विवेकानंद
- स्वामी योगानन्द
- स्वामी शिवानन्द
- स्वामी कृष्णानन्द
- स्वामी प्रेमानन्द
- स्वामी सारदानन्द
- केशवचंद्र सेन
- बलराम बोष
- दुर्गा चरण नाग
- विजयकृष्ण गोस्वामी
- गिरिषचन्द्र घोष
- सुरेद्रनाथ
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर मित्र इनके मुख्य शिष्य थें ।
1
1
View Comments :
No comments Found